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चार महीने नहीं होंगे शुभ कार्य

    हिंदी कैलेंडर के अनुसार अर्ध आषाढ़ से लेकर श्रावण, भाद्रपद, अश्विनी एवं अर्ध कार्तिक मास तक चातुर्मास कहलाते हैं । इन दिनों कोई भी शुभ कार्य नहीं होते, लेकिन धार्मिक अनुष्ठानों का आयोजन तथा दान पुण्य का बहुत अधिक महत्त्व बताया गया है|

    स्त्रों के अनुसार ‘उत्तरायण’ का समय देवताओं का दिन तथा ‘दक्षिणायन’ देवताओं की रात्रि होती है । श्रावण से पौष तक सूर्य का उत्तरी छोर से दक्षिणी छोर तक जाना ‘दक्षिणायन’ होता है, इस अवधि में देवताओं की रात्रि प्रारम्भ हो जाती है और भगवान विष्णु चार महीने के लिए सो जाते हैं । इसी चार महीने की अवधि को चातुर्मास कहते हैं । वर्ष 2021 में आषाढ़ महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि यानी 20 जुलाई 2021 को हरिशयनी एकादशी के साथ ही चातुर्मास प्रारंभ हो जायेगा । माना जाता है कि हरिशयनी एकादशी के दिन से भगवान श्री विष्णु क्षीर सागर में राजा बलि के द्वार पर अनंत शैय्या पर चार महीनों तक शयन करते हैं । इस चार महीने की अवधि में सभी देवताओं के सो जाने की वजह से पृथ्वी लोक पर मनुष्यों द्वारा किये गए किसी भी शुभ कार्य जैसे- यज्ञोपवीत संस्कार, विवाह, दीक्षाग्रहण, यज्ञ, गृहप्रवेश, गोदान, प्रतिष्ठा इत्यादि का शुभ फल नहीं मिल पाता है, जिस कारण चातुर्मास में कोई भी शुभ कार्य करना वर्जित हैं । इन चार महीनों के उपरांत कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि यानी 15 नवम्बर 2021, देवोत्थानी एकादशी के दिन श्री हरि विष्णु का शयन समाप्त होगा और इसी दिन चातुर्मास भी समाप्त हो जायेगा और इसके साथ ही शुभ कार्यों का भी शुभारंभ हो जायेगा ।

    चातुर्मास में पड़ने वाले कुछ महत्वपूर्ण अनुष्ठान

    आषाढ़
    चातुर्मास में पड़ने वाला पहला महीना आषाढ़ का होता है । इस महीने में गुरु पूर्णिमा का त्योहार मनाया जाता है, जिसमें गुरु पूजन के साथ-साथ धार्मिक अनुष्ठान किये जाते है और कई जगहों पर मेलों का भी आयोजन किया जाता है ।

    श्रावण
    चातुर्मास में पड़ने वाला दूसरा महीना श्रावण का होता है । इस महीने में कई बड़े त्योहार मनाये जाते हंै, जिनमें कावर यात्रा के साथ भगवान शिव की पूजा की जाती है । रक्षाबंधन के दिन बहनें अपने भाई की कलाई पर राखी बांधती हैं और भाई की तरक्की की कामना करती हैं, वही नाग पंचमी के दिन नाग

    देवता की पूजा की जाती है, हरियाली तीज में सुहागन औरतें व्रत रख भगवान शिव एवं देवी पार्वती की
    पूजा करती हैं, इस महीने में श्रावण सोमवार का महत्त्व भी बहुत अधिक होता है ।

    भाद्रपद
    तीसरा महीना भाद्रपद यानी भादों का होता है । इस महीने में जन्माष्टमी, हर छठ, कजरी तीज, गणेश चतुर्दशी, ऋषि पंचमी, पितृ श्राद्ध आदि मनाया जाता है ।

    आश्विन
    चातुर्मास के आश्विन महीने में शरद पूर्णिमा एवं नव दुर्गा व्रत मनाया जाता है, जिसमें लोग नौ दिनों का व्रत रखते हैं और माता दुर्गा की पूजा अर्चना करते है । उसके बाद दसवें दिन दशहरे का त्योहार बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं । साथ ही इसी दिन रावण दहन भी किया जाता है ।

    कार्तिक
    चातुर्मास में कार्तिक महीने का कृष्ण पक्ष आता है । जिसमें गोपा अष्टमी, आंवला नवमी जैसे त्योहारों के साथ लोग अपने घरों की सफाई भी करते हैं, क्योकि इस माह में पड़ने वाला दीपावली का त्योहार पूरे भारत में बड़े ही धूम-धाम और श्रद्धा से मनाया जाता है ।

    चातुर्मास में शुभ कार्य ना करने के वैज्ञानिक कारण चातुर्मास के दौरान वर्षा ऋतु भी होती है । इन दिनों में बादल और वर्षा के कारण सूर्य और चन्द्रमा का तेज क्षीण हो जाता है । इस समय में पित्त स्वरूप अग्नि की गति शांत हो जाने के कारण शरीरगत शक्ति क्षीण या सो जाती है । वर्षा ऋतु में विविध प्रकार के कीटाणु उत्पन्न हो जाते हैं । जल की बहुलता और सूर्य के तेज का भूमि पर अति अल्प प्राप्त होना इनका मुख्य कारण है । इस प्रकार के अस्थिर मौसम में स्वास्थ्य सम्बन्धी अनेकानेक समस्यायें उत्पन्न हो जाती हैं । साथ ही वर्षा इत्यादि के कारण जीवन अस्त – व्यस्त रहता है । इस प्रकार की परिस्थितियों में किसी भी मांगलिक कार्य का आयोजन सुखद नहीं होता । संभवतः इसी दृष्टिकोण से चार महीने तक शुभ कार्य न करने की सलाह दी जाती है|

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