इस दिन व्रत करने से क्रोधी व्यक्ति का प्रभाव जीवन पर नहीं पड़ता है और दुर्गुण से बचते हैं । भगवान परशुराम की पूजा करने से कोई भी अनिष्ट और विश्वासघात आपके साथ नहीं हो सकता |
र्ष 2021 के जुलाई महीने की 17 तारीख, दिन शनिवार को यानि आषाढ़ शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को परशुराम अष्टमी मानाने का विधान है और इसी दिन दुर्गा अष्टमी भी मनाई जाती है । इस दिन तंत्र साधना और तपस्या में सफलता पाने के लिए भगवान श्री परशुराम जी की पूजा करते हैं । जिससे क्रोधी व्यक्ति का प्रभाव जीवन पर नहीं पड़ता है और दुर्गुण से बचते हैं । परशुराम जी की पूजा करने से कोई भी अनिष्ट और विश्वासघात आपके साथ नहीं हो सकता है । भगवान परशुराम ने ब्राह्मणों की धर्म की रक्षा के लिए कई बार युद्ध किए और अन्याय को समाप्त किया । पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान परशुराम महर्षि के जमदग्नि द्वारा किए गए यज्ञ से उत्पन्न हुए थे । भगवान परशुराम विष्णु जी के अवतार माने जाते हैं । पितामह द्वारा संपन्न नाम करण संस्कार के के कारण जमदग्न और शिवजी के द्वारा प्रदत्त परसु को धारण करने के कारण यह परशुराम भी कहलाए । रामायण, महाभारत, श्रीमद्भा गवत और कल्कि पुराण में भी इनका जिक्र मिलता है|